पिछले चार वित्तीय वर्षों के दौरान दिल्ली में स्वच्छ हवा के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी किए गए 42.69 करोड़ रुपये में से केवल 32 प्रतिशत राशि का उपयोग ही दिल्ली सरकार तथा अन्य सरकारी निकायों द्वारा किया गया। यह जानकारी चांदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री श्री भूपेंद्र यादव द्वारा संसद में दी गई।

श्री खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को धन उपलब्ध कराने में कोई कमी नहीं छोड़ी लेकिन क्योंकि दिल्ली सरकार का पर्यावरण को सुधारने के प्रति कोई रुचि नहीं थी इसलिए ही दिल्ली सरकार केंद्र सरकार द्वारा दी गई धनराशि का पूरा उपयोग नहीं कर पाई

श्री यादव ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि 2019-20 से 2024-25 के दौरान दिल्ली के लिए कुल 42.69 करोड़ रुपये का बजट केंद्र सरकार द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के लिए जारी किया गया, जिसमें से केवल 13.56 करोड़ रुपये (32 प्रतिशत) का उपयोग वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए सिटी एक्शन प्लान लागू करने के लिए किया गया।

केंद्र सरकार ने पिछले चार वर्षों में यह धनराशि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के माध्यम से दिल्ली नगर निगम (MCD) को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के तहत जारी की थी, जिसका समुचित उपयोग दिल्ली सरकार कर नहीं पाई।

संसद में दिए गए उत्तर में बताया गया कि दिल्ली-एनसीआर में कुल छह गैर-प्राप्ति शहर (NAC) हैं, जिनमें से तीन शहर – दिल्ली, अलवर और नोएडा – को NCAP के तहत वित्त पोषित किया गया है, जबकि तीन शहर – गाजियाबाद, मेरठ और फरीदाबाद – को 15वें वित्त आयोग के तहत वित्त पोषण किया गया है। इन निधियों का उपयोग इन सभी छह पहचाने गए शहरों में वायु गुणवत्ता सुधार के लिए सिटी एक्शन प्लान्स लागू करने के लिए किया जाता है।

2019-20 से 2024-25 के दौरान दिल्ली-एनसीआर शहरों के लिए कुल 476.04 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया, जिसमें से केवल 334.53 करोड़ रुपये (70 प्रतिशत) का उपयोग किया गया।

मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि 2021-22 से 130 गैर-प्राप्ति शहरों को प्रदर्शन-आधारित अनुदान जारी किया जा रहा है।
अनुदान की राशि इस बात पर निर्भर करती है कि शहर वायु गुणवत्ता सुधार की मात्रा के आधार पर कैसा प्रदर्शन करते हैं। शहरों के प्रदर्शन का वार्षिक मूल्यांकन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा किया जाता है, और 40 से कम स्कोर वाले शहरों को धनराशि जारी नहीं की जाती।

दिसंबर 2021 से अब तक CPCB द्वारा नियुक्त 40 टीमों ने 18,976 इकाइयों/परियोजनाओं का निरीक्षण किया। इन टीमों ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों, निर्माण और विध्वंस स्थलों, और जनरेटर सेट्स का गोपनीय निरीक्षण किया और प्रदूषण नियंत्रण उपायों की अनुपालना की स्थिति की जांच की।

पराली जलाने पर, उन्होंने कहा कि कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने 2018 में दिल्ली-एनसीटी और पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों में धान के पुआल के इन-सीटू प्रबंधन के लिए फसल अवशेष प्रबंधन मशीनरी की खरीद और कस्टम हायरिंग सेंटर्स (CHCs) की स्थापना के लिए सब्सिडी प्रदान करने की योजना शुरू की थी।

2018 से 2024-25 (15 नवंबर 2024 तक) के दौरान कुल 3,623.45 करोड़ रुपये जारी किए गए (पंजाब – 1,681.45 करोड़ रुपये, हरियाणा – 1,081.71 करोड़ रुपये, उत्तर प्रदेश – 763.67 करोड़ रुपये, एनसीटी दिल्ली – 6.05 करोड़ रुपये और ICAR – 83.35 करोड़ रुपये)।इन चार राज्यों में किसानों को 3 लाख से अधिक मशीनें और 40,000 से अधिक कस्टम हायरिंग सेंटर्स उपलब्ध कराए गए।