आज 1 जुलाई, 2024 से देश के क़ानूनी ढाँचे में एक बेहद महत्वपूर्ण और एतिहासिक बदलाव हो रहा है । आज से भारत में तीन नये क़ानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम लागू हो रहे हैं, जो अपराधों से निपटने में बेहद कारगर साबित होंगे। ये नए कानून भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे।

दिल्ली के चाँदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने आज से देश भर में लागू हो रहे तीनों क़ानूनों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रगतिशील विज़न के कारण देश आज ब्रिटिश काल के तीन क़ानूनों से मुक्त हो रहा है । श्री खंडेलवाल ने कहा कि ये नए कानून केवल पुराने कानूनों का स्थान ही नहीं लेंगे, बल्कि एक अधिक कुशल, स्पष्ट और न्यायसंगत कानूनी प्रणाली बनाने का एक व्यापक प्रयास है जो भारत के वर्तमान सामाजिक-राजनीतिक और तकनीकी परिदृश्य के साथ मेल खाती है।

श्री खंडेलवाल ने कहा कि इन नये क़ानूनों के ज़रिए पुराने क़ानूनों का आधुनिकीकरण किया गया है, क़ानूनों में सरलता और स्पष्टता लाई गई है,नये क़िस्म के अपराधों के लिए विशेष प्रावधान लाये गये हैं,धाराओं का पुनर्वर्गीकरण करते हुए नये क्रमांक दिये गये हैं, प्रगतिशील उपायों का समावेश किया गया है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित क़ानूनों को और अधिक मज़बूत किया गया है ।

इन नये क़ानूनों में कई धाराओं को पुनः क्रमांकित और पुनर्वर्गीकृत किया गया है ताकि अपराधों की समकालीन प्रासंगिकता और गंभीरता को दर्शाया जा सके। हत्या अब धारा 101 के अंतर्गत कवर की जाएगी, और धोखाधड़ी धारा 316 के अन्तर्गत आएगी। नए कोड्स में लिंग आधारित हिंसा, बलात्कार और अन्य प्रकार के यौन उत्पीड़न के खिलाफ अधिक कठोर प्रावधानों जैसे प्रगतिशील उपायों और मानवाधिकार विचारों को शामिल किया गया है।

श्री खंडेलवाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को इस प्रगतिवादी कदम के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि 19वीं सदी में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान स्थापित किए गए इन क़ानूनों के स्थान पर यह बदलाव कर सरकार ने देश में औपनिवेशिक युग के कानूनों से हटकर एक अधिक आधुनिक और प्रासंगिक कानूनी ढाँचे की स्थापना की है जो समकालीन भारत के वर्तमान और भविष्य के लिए बेहद उपयुक्त है।नए कानून कानूनी भाषा और प्रावधानों को सरल और स्पष्ट बनाने का प्रयास करते हैं, जिससे सामान्य नागरिक के लिए उन्हें अधिक सुलभ और समझने योग्य बनाया जा सके। इससे कानूनी अस्पष्टताएँ कम होने और न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता बढ़ने की उम्मीद है।उन्होंने कहा कि नए कानूनी कोड्स में साइबर अपराध, संगठित अपराध और आतंकवाद जैसे आधुनिक अपराधों के लिए विशेष प्रावधान शामिल हैं, जो पुराने कानूनों के तहत पर्याप्त रूप से कवर नहीं किए गए थे। यह सुनिश्चित करता है कि कानूनी प्रणाली अपराधों की बदलती प्रकृति को संभालने के लिए सुसज्जित है।

श्री खंडेलवाल ने कहा कि इस पुनर्गठन का उद्देश्य कानूनी प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और कानूनी संदर्भ और व्याख्या में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में राष्ट्रीय सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने के लिए मजबूत उपाय शामिल हैं, जो आंतरिक और बाहरी खतरों के खिलाफ राष्ट्र की सुरक्षा की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। इसमें राजद्रोह और आतंकवाद को संबोधित करने वाले प्रावधान शामिल हैं, जो सुरक्षा और नागरिक स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाए रखते हैं।