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सांसद खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल से भारत के कानूनों का उल्लंघन करने वाली ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों पर सख्त नियम लागू करने की मांग की

संसद सदस्य एवं कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर देश में कार्यरत कई ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा किए जा रहे “चौंकाने वाले और अनियंत्रित उल्लंघनों” की ओर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है।

अपने पत्र में श्री खंडेलवाल ने गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि अनेक कंपनियां मौजूदा कानूनी और नीतिगत प्रावधानों की पूरी तरह अवहेलना कर रही हैं और यह सब बिना किसी जवाबदेही के किया जा रहा है। इस तरह की गतिविधियां न केवल निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों को कमजोर कर रही हैं, बल्कि छोटे एवं मझोले व्यापारियों के हितों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा एफडीआई नीति और *उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम, 2020* के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद कई प्लेटफॉर्म मार्केटप्लेस के नाम पर इन्वेंट्री आधारित मॉडल पर कार्य कर रहे हैं, प्रेडट्री प्राइसिंग, डीप डिस्कोउंटिंग जैसी गतिविधियों में लिप्त हैं तथा चुनिंदा विक्रेताओं को अनुचित लाभ दे रहे हैं — जो प्रत्यक्ष रूप से कानून का उल्लंघन है।

क्विक कॉमर्स क्षेत्र में बढ़ते अव्यवस्था के खतरे पर प्रकाश डालते हुए श्री खंडेलवाल ने कहा कि “ये कंपनियां स्थानीय व्यापार नियमों का उल्लंघन कर रही हैं, आवश्यक लाइसेंस और डिलीवरी सुरक्षा प्रोटोकॉल की अनदेखी कर रही हैं तथा पारंपरिक खुदरा व्यापार तंत्र को अस्त-व्यस्त कर रही हैं। ऐसी गैर-पारदर्शी गतिविधियां न केवल कानून-विरुद्ध हैं बल्कि देशभर के लाखों छोटे व्यापारियों और लोकल दुकानों की आजीविका के लिए भी गंभीर खतरा बन रही हैं।”

*सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए श्री खंडेलवाल ने मंत्रालय से निम्नलिखित कदम उठाने का आग्रह किया:*

1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम और एफडीआई नीति के अंतर्गत ई-कॉमर्स व क्विक कॉमर्स क्षेत्रों के लिए विशिष्ट नियामक दिशा-निर्देश तैयार किए जाएं।

2. मौजूदा कानूनों के कड़े प्रवर्तन के साथ-साथ उल्लंघनों पर दंडात्मक प्रावधान लागू किए जाएं।

3. पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कंपनियों से उनके एल्गोरिद्म, डेटा उपयोग की प्रक्रिया और विक्रेताओं के साथ संबंधों का पूर्ण खुलासा अनिवार्य किया जाए।

4. ऑनलाइन व्यापार गतिविधियों की निरंतर निगरानी के लिए एक समर्पित नियामक प्राधिकरण का गठन किया जाए।

श्री खंडेलवाल ने कहा, “मजबूत नियामक ढांचे की अनुपस्थिति ने इन कंपनियों को ऐसा आचरण करने के लिए प्रोत्साहित किया है मानो वे कानून से ऊपर हों। यह अत्यंत आवश्यक है कि सरकार शीघ्र कदम उठाकर जवाबदेही स्थापित करे और वैध व्यापार की रक्षा करे।”

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के *निष्पक्ष, पारदर्शी और कानूनसम्मत डिजिटल अर्थव्यवस्था* के विज़न का समर्थन करते हुए श्री खंडेलवाल ने आश्वासन दिया कि कैट और देश का व्यापारी वर्ग सरकार के प्रयासों में पूरा सहयोग करेगा ताकि भारत के खुदरा क्षेत्र के सभी हितधारकों को समान अवसर और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा का माहौल मिल सके।

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