भाई–दूज पर आज देशभर में रौनक — परिवारिक रिश्तों, संस्कृति और परंपरा का हुआ अद्भुत संगम भाई–बहन के स्नेह का पर्व बना व्यापार और उमंग का प्रतीक, देशभर में लगभग ₹22 हज़ार करोड़ का व्यापार अनुमानित दिल्ली में लगभग 2800 करोड़ का सम्भावित व्यापार
आज दिल्ली सहित देशभर में भाई–दूज का पर्व हर्षोल्लास और परंपरागत उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। यह दिन भारतीय संस्कृति में भाई–बहन के स्नेह, पारिवारिक एकता और आपसी विश्वास का प्रतीक है। बहनों ने भाइयों के ललाट पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना की, वहीं भाइयों ने प्रेम और स्नेह के प्रतीकस्वरूप बहनों को उपहार भेंट किए और उनको सौभाग्य की शुभकामनाएं एवं आशीर्वाद दिया।
देश के प्रमुख बाजारों, खासकर दिल्ली, मुंबई, जयपुर, अहमदाबाद, लखनऊ, भोपाल, कोलकाता, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे, पटना, इंदौर, कानपुर सहित लगभग सभी राज्यों के प्रमुख शहरों, कस्बों एवं गांवों के बाजारों में आज भारी भीड़ देखी गई और यह त्यौहार बेहद खुशी, उल्लास और उत्साह के साथ पारिवारिक माहौल में मनाया गया।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के अनुसार, भाई–दूज पर देशभर में लगभग ₹22,000 करोड़ रुपये का व्यापार होने का अनुमान है वहीं दिल्ली में यह व्यापार लगभग 2800 करोड़ रुपए का संभावित है।
कैट के अनुसार आज देश भर में भाई दूज के पवित्र पर्व पर जिन प्रमुख वस्तुओं का व्यापार हुआ उसमें मिठाई और नमकीन,
चॉकलेट, फल, ड्राई फ्रूट्स और गिफ्ट पैक,
रेडीमेड वस्त्र, साड़ियाँ और परिधान,ज्वैलरी और फैशन एक्सेसरीज़, इलेक्ट्रॉनिक्स और गैजेट्स, होम ऐप्लायंसेज, पैकिंग, डेकोरेशन, पूजा सामग्री,गोले, गिफ्ट आइटम्स, केक, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी आइटम्स शामिल थे वहीं,ट्रैवल, कैब, रेस्टोरेंट्स एवं हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में भी बड़ा व्यापार हुआ।
दिल्ली के चांदनी चौक से सांसद तथा कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि कुल मिलाकर यह पर्व पारिवारिक रिश्तों के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हुआ वहीं इससे देश की “ सनातनी अर्थव्यवस्था” की महत्ववता भी सिद्ध होती है। खंडेलवाल ने कहा कि “भाई–दूज केवल एक पारिवारिक पर्व नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो पारिवारिक संबंधों में प्रेम, त्याग और सम्मान की भावना को सशक्त करती है। इस अवसर पर देश के छोटे-बड़े व्यापारी स्वदेशी उत्पादों की बिक्री के माध्यम से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं।”
श्री खंडेलवाल ने बताया कि स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री में इस वर्ष लगभग 50% की वृद्धि दर्ज की गई है, विशेष रूप से मिठाइयाँ, पारंपरिक गिफ्ट आइटम्स, सूखे मेवे और हैंडलूम वस्त्रों की बिक्री ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं।
उन्होंने कहा कि इस प्रकार के त्यौहार न केवल सामाजिक एकता और पारिवारिक बंधन को सशक्त करते हैं बल्कि देश के गैर–कॉरपोरेट और गैर–कृषि क्षेत्र की आर्थिक शक्ति का भी प्रमाण हैं, जो भारत की विकास यात्रा को गति दे रहे हैं।
कैट का मानना है कि भाई–दूज जैसे पर्व भारत की पारंपरिक बाजार संस्कृति को पुनर्जीवित करते हैं और उपभोक्ताओं को स्वदेशी उत्पादों की ओर प्रेरित करते हैं।
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