टैरिफ़ युद्ध के बीच अमेरिका से निर्यात बढ़ाने के लिए भारत के पास बड़े अवसर वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बदलाव के बीच भारतीय व्यापार और उद्योग को तेज़ी से कदम उठाने की जरूरत ब्रांड इंडिया को प्रचारित करने का बड़ा अवसर
अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते टैरिफ युद्ध ने भारतीय निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाजार में भारत के व्यापार को एक नया आयाम देने का मौक़ा मिला है। अमेरिका द्वारा चीन के कई उत्पादों पर लगभग 145% तक के भारी शुल्क लगाए जाने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में जो बदलाव आयेगा, उसे भरने के लिए भारतीय व्यापारिक संगठनों और उद्योग जगत को तुरंत कदम उठाने की आवश्यकता है।
चांदनी चौक से सांसद और कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल का मानना है कि भारत, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां पहले से ही प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त है, अमेरिका में चीन के उत्पादों का एक विश्वसनीय और लोकतांत्रिक विकल्प बन सकता है।
“यह भारत के लिए एक पीढ़ी में एक बार मिलने वाला अवसर है कि वह खुद को एक वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र के रूप में पुनः स्थापित करे,” श्री खंडेलवाल ने कहा। “वर्तमान वैश्विक परिस्थितियां अमेरिका को विश्वसनीय भागीदारों की तलाश करने को मजबूर करेंगी और ऐसे में भारतीय व्यापार और उद्योग को इस रणनीतिक मौके का लाभ उठाना चाहिए।”
श्री खंडेलवाल ने बताया कि ऊँचे टैरिफ के चलते अमेरिकी कंपनियां अब चीनी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम करना चाहेंगी, ऐसे में भारत का कम लागत और उच्च कौशल वाला विनिर्माण तंत्र एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरता है।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का वैश्विक प्रभाव, भारत का लोकतांत्रिक ढांचा, क़ानून का शासन और लगातार बेहतर होती संरचना अमेरिका के लिए भारत को एक भरोसेमंद व्यापारिक साझेदार के रूप में स्थापित कर सकती है। इसके अलावा, फार्मास्युटिकल्स, वस्त्र, रसायन, एफएमसीजी, इंजीनियरिंग वस्तुएं, इलेक्ट्रॉनिक्स असेंबली और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों में भारतीय निर्यातकों की पहले से ही मजबूत उपस्थिति है—जो अब चीन से आयात पर अमेरिकी शुल्क के चलते और भी प्रासंगिक हो गए हैं।
श्री खंडेलवाल ने यह भी कहा कि व्यापार और उद्योग जगत को अमेरिका की मांगों के अनुरूप खुद को तेज़ी से ढालने की रणनीति बनानी चाहिए। विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स, खिलौने, मशीनरी, फर्नीचर और कंज्यूमर गुड्स जैसे क्षेत्रों को लक्षित करना चाहिए, जहां चीन की पकड़ अब कमजोर हो रही है। इसके साथ ही सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना जैसे प्रयासों से विनिर्माण क्षमता का विस्तार और उन्नयन जरूरी है। उन्होंने ‘ब्रांड इंडिया’ को विश्व बाजार में एक विश्वसनीय, टिकाऊ और नवाचार-समर्थ उत्पादक देश के रूप में प्रस्तुत करने की बात कही, जो केवल कम कीमत पर नहीं बल्कि गुणवत्ता और नवाचार में भी अग्रणी हो।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह अवसर स्थायी नहीं है—वियतनाम, मेक्सिको और बांग्लादेश जैसे देश भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भारत को इस मौके को भुनाने के लिए नीतिगत समर्थन, अधोसंरचना में सुधार और निजी क्षेत्र की भागीदारी को एक साथ लाना होगा।
“बदलती वैश्विक व्यापारिक परिस्थितियों के बीच, भारत के पास अपने निर्यात की एक नई कहानी लिखने का अवसर है,” श्री खंडेलवाल ने कहा। “हमें अभी—सुनियोजित और सामूहिक रूप से कदम उठाना होगा।”
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