क्विक कॉमर्स कंपनियों द्वारा नियम एवं कानून का उल्लंघन करने को लेकर कैट ने किया पीयूष गोयल से हस्तक्षेप का आग्रह
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल को एक पत्र भेजकर उनका ध्यान क्विक कॉमर्स कंपनियों की नियम एवं कानून का उल्लंघन करने की ओर दिलाते हुए कहा है कि ये कंपनियां विदेशी निवेश का दुरुपयोग करते हुए देश के रिटेल बाज़ार को विकृत कर रही हैं जिससे छोटे दुकानदारों के लिए बड़ा ख़तरा उत्पन्न हो गाता है।ज्ञातव्य है कि कैट ने कुछ दिन पहले इस मुद्दे पर एक श्वेत पत्र भी जारी किया था जिसकी एक प्रति कैट ने श्री गोयल को भी भेजी है। कैट इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी एक पत्र के साथ श्वेत पत्र भेज रहा है ।
कैट ने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी सी भरतिया ने क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स जैसे ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट, ज़ेप्टो, स्विगी आदि पर प्रत्यक् विदेशी निवेश (एफडीआई) के ज़रिए प्राप्त धन का दुरुपयोग लगाने का आरोप लगते हुए कहा है की इससे ये कम्पनियाँ सामान आपूर्तिकर्ताओं पर अपना नियंत्रण रखते हुए इन्वेंटरी पर प्रभुत्व और सामान के मूल्यों के निर्धारण में मनमानी कर रही हैं। उनका एकमात्र उद्देश्य गली – मोहल्लों की छोटी किराना एवं अन्य सामान की दुकानों को खत्म कर उनके बाज़ार पर कब्जा करना है। ई कॉमर्स की विदेशी कंपनियों की तरह ये कंपनियां क्विक कॉमर्स के ज़रिए भारतीय खुदरा बाज़ार को ख़राब करने पर तुली हुई हैं। कैट ने कहा कि ऐसी व्यापारिक रणनीतियों के ज़रिए ये कंपनियाँ प्रतिस्पर्धा को धता बताते हुए एक असमान बाजार बनाती हैं, जहां देश भर में लगभग 3 करोड़ से अधिक किराना दुकानों का टिक पाना लगभग असंभव हो गया है।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री तथा दिल्ली के चाँदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने क्विक कॉमर्स कंपनियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की
ये कंपनियाँ छोटे खुदरा विक्रेताओं को बाजार से बाहर धकेलने का काम कर रही हैं। सीधे तौर पर ये कंपनियाँ न केवल एफडीआई पालिसी का उल्लंघन कर रही हैं बल्कि कम्पलीशन एक्ट का भी मजाक उड़ा रही हैं। भारत के नियम एवं कानूनों की इन कंपनियों को कोई परवाह नहीं है।
श्री खंडेलवाल ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्री पीयूष गोयल की कुछ दिन पहले की गई टिप्पणियों का स्भी उल्लेख किया जिसमें श्री गोयल ने क्यू कॉमर्स पर इसी प्रकार की चिंताओं को व्यक्त किया था और कहा था कि क्विक कॉमर्स कंपनियों को स्थानीय किराना दुकानदारों के साथ जोड़ने का सुझाव दिया था उन्होंने कहा कि वो इस मुद्दे को लेकर शीघ्र ही व्यापारियों के एक प्रतिनिधिमंडल को लेकर श्री गोयल से मिलेंगे । दूसरी ओर इस मुद्दे सहित अन्य ज्वलंत व्यापारिक विषयों को लेकर कैट ने आगामी 6-7 जनवरी को दिल्ली में दो दिवसीय राष्ट्रीय व्यापारी सेमिनार आयोजित कर रहा है।
श्री भरतिया ने बताया कि क्विक कॉमर्स कंपनियों ने एफडीआई के ज़रिए 54,000 करोड़ से अधिक धनराशि प्राप्त की है की जबकि इस निवेश का उपयोग न तो बुनियादी ढांचा निर्माण में किया और न ही दीर्घकालिक परिसंपत्तियों में बल्कि इस एफडीआई का उपयोग व्यापार करने में हो रहे घाटों को कवर करने,सप्लाई चेन पर नियंत्रण रखने और कुछ अपने चुनिंदा विक्रेताओं के माध्यम से डीप डिस्काउंट दिए जाने के लिए किया गया है, जो कि बेहद आपत्तिजनक है । उन्होंने कहा कि इन कंपनियों ने सैकड़ों की तादाद में देश में विभिन्न स्थानों पर अपने डार्क स्टोर बनाए हैं जिनके ज़रिए ये सामान की सप्लाई करती हैं जबकि नियमों के अनुसार ये कंपनियां किसी भी रूप में कोई स्टोर नहीं बना सकती।
श्री भरतिया ने कहा कि क्विक कॉमर्स कंपनियां कुछ चुनिंदा विक्रेताओं के साथ विशेष सौदे कर स्वतंत्र खुदरा विक्रेताओं के लिए प्रतिस्पर्धा को खत्म करती है वहीं
विक्रेताओं की जानकारी उपभोक्ताओं से छुपाती हैं जो कम्पटीशन एक्ट तथा उपभोक्ता के अधिकारों का उल्लंघन है।
यह कंपनियाँ कम्पटीशन एक्ट ,2002 का भी उल्लंघन करते हुए आपूर्ति, मूल्य निर्धारण और वितरण पर नियंत्रण रखने के लिए एकतरफ़ा समझौते करते हैं जिससे प्रतिस्पर्धा विपरीत रूप से प्रभावित होती है ये कम्पनियाँ कीमतों में हेरफेर और इन्वेंटरी पर नियंत्रण करती हैं ।
कैट ने कहा कि विदेशी पूंजी से चलाई जा रही इन कंपनियों की अनियंत्रित वृद्धि भारत के छोटे खुदरा बाज़ार के लिए एक बड़ा खतरा है।कैट ने सरकार से उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियमों तथा ई-कॉमर्स नीति के माध्यम से क्विक कॉमर्स कंपनियों पर सख्त निगरानी लागू करने और और नियम एवं कानूनों का पालन करने के लिए जवाबदार बनाने हेतु तुरंत जरूरी कदम उठाने की मांग की है।
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