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कैट और डीजीपीजी द्वारा ऐतिहासिक जीएसटी मॉक ट्रिब्यूनल का आज हुआ आयोजन जीएसटी ट्रिब्यूनल का न होना जीएसटी अधिनियम की धारा 112 का उल्लंघन

कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) ने दिल्ली जीएसटी प्रोफेशनल्स ग्रुप (डीजीपीजी ) के साथ मिलकर आज नई दिल्ली में एक ऐतिहासिक जीएसटी मॉक ट्रिब्यूनल का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य जीएसटी परिषद से आग्रह करना था कि वह जीएसटी अपीलीय ट्रिब्यूनल के गठन की दिशा में तत्काल प्रभाव से कदम उठाए, ताकि करदाताओं को जीएसटी अधिकारियों के आदेशों के विरुद्ध अपील करने का वैधानिक अधिकार सुनिश्चित किया जा सके। 

इस सत्र का उद्घाटन करते हुए कैट के राष्ट्रीय महामंत्री एवं चांदनी चौक से सांसद श्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों के बावजूद सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों के कारण राज्यों में अब तक जीएसटी ट्रिब्यूनल का गठन नहीं हो पाया है। इस देरी के चलते देशभर में दो लाख से अधिक मामलों का लंबित रहना बताया गया है, जिससे करदाताओं को उच्च न्यायालयों में महंगे और समय लेने वाले रिट याचिकाओं के माध्यम से न्याय पाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

 श्री खंडेलवाल ने बताया कि *जीएसटी अधिनियम की धारा 112, नियम 10 के साथ पढ़ने पर दो स्तरीय अपीलीय ट्रिब्यूनल प्रणाली (राष्ट्रीय/क्षेत्रीय पीठें एवं राज्य/क्षेत्रीय पीठें) के गठन का स्पष्ट प्रावधान है। ये ट्रिब्यूनल, ऑर्डर-इन-अपील या रिवीजनल अथॉरिटी के आदेशों के विरुद्ध अपील की सुनवाई करते है* हालांकि, ट्रिब्यूनल के अभाव में करदाता *संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत सिविल रिट के रूप में उच्च न्यायालय की शरण लेने के लिए बाध्य हैं, जबकि धारा 117 के तहत अपील तभी संभव है जब ट्रिब्यूनल का आदेश मौजूद हो।*

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