एमपी खंडेलवाल ने पियूष गोयल के बयान पर ज़ेप्टो सीईओ की “तर्कहीन प्रतिक्रिया” की आलोचना की
नई दिल्ली, 5 अप्रैल 2025 — चांदनी चौक से सांसद और कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट ) के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने ज़ेप्टो के सीईओ आदित पलीचा की केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के हाल ही में आयोजित स्टार्टअप महाकुंभ में दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया को “ग़लत और अतार्किक” बताया है।
स्टार्टअप महाकुंभ के दौरान, मंत्री गोयल ने भारतीय स्टार्टअप्स से त्वरित वाणिज्य और सुविधा-आधारित अनुप्रयोगों से हटकर राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को संबोधित करने वाले डीप-टेक नवाचारों की ओर बढ़ने का आग्रह किया। उन्होंने सवाल किया कि क्या भारत को उन स्टार्टअप्स से संतुष्ट होना चाहिए जो केवल खाद्य वितरण सेवाओं पर केंद्रित हैं, जबकि अन्य देश कृत्रिम बुद्धिमत्ता और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों में आगे बढ़ रहे हैं। श्री खंडेलवाल ने श्री गोयल की चिंता की वाजिब बताते हुए कहा कि दुनिया भर के देशों में स्टार्ट अप्स टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में काफ़ी काम कर रहे हैं और इस दृष्टि से भारत में भी यदि ऐसा होता है तो देश के विकास में ज़्यादा बेहतर होगा
ज़ेप्टो के बिजनेस मॉडल का बचाव करते हुए, सीईओ आदित पलीचा ने कंपनी के योगदान को उजागर किया, जिसमें लगभग 1,50,000 नौकरियों का सृजन, ₹1,000 करोड़ से अधिक का वार्षिक कर भुगतान, और $1 बिलियन से अधिक का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश शामिल है। 
सांसद खंडेलवाल ने पलीचा की प्रतिक्रिया को मंत्री गोयल के संदेश के मूल सार से भटकाने वाला बताया। उन्होंने कहा, “नौकरियां सृजित करने और कर भुगतान का दावा करना, जबकि विदेशी पूंजी का उपयोग करके भारत के छोटे किराना स्टोर्स को नुकसान पहुंचाना, नवाचार नहीं है। यह दृष्टिकोण भारत के दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के अनुरूप नहीं है।”
खंडेलवाल ने इस बात पर जोर दिया कि स्टार्टअप्स को भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व में योगदान देना चाहिए, न कि पारंपरिक व्यवसायों की कीमत पर अल्पकालिक व्यावसायिक लाभों का पीछा करना चाहिए। उन्होंने कहा, “नवाचार को केवल सुविधा नहीं, बल्कि राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए। हमें ऐसे स्टार्टअप्स की आवश्यकता है जो वास्तविक समस्याओं का समाधान करें और भारत के भविष्य को आगे बढ़ाने के लिए बुनियादी तकनीकों का निर्माण करें।”
यह चर्चा भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम के भीतर एक व्यापक बहस को उजागर करती है, जिसमें तेजी से व्यावसायिक सफलता और उन्नत तकनीकों में भारत को अग्रणी बनाने वाले डीप-टेक नवाचार की खोज के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर विचार किया जा रहा है।
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